Pakhi Jain

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लेखनी कहानी -31-Dec-2023

अहिंसा -महावीर के परिप्रेक्ष्य में 

• *प्राक्कथन*:
*अहिंसा* यानि अपरिग्रह, हितकारी वचन और सामंजस्य।इन तीन शब्दों में छिपा है महावीर की अहिंसा का सार और विश्वशांति का अमूल ,अचूक संदेश।

• *अहिंसा क्या है?*:
"अहिंसा न तो कोई नारा है,न कोई पंथ न कोई वाद न किसी तरह की धर्मांधता।यह जीवन जीने की वह कला है जिसमें सभी जीवों के उत्थान ,कल्याण की भावना के साथ स्वयं का आत्मिक विकास भी शामिल है।"
 भगवान महावीर ने अहिंसा को परिभाषित करते हुये कहा कि विचार ,वाणी,व कर्म  से किसी भी प्राणी की हिंसा न करना ,चोट न पहुँचाना अहिंसा है।
अहिंसा के विषय में एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक-- दार्शनिक कार्क सेगन ने कहा -- *"केवल जैन धर्म को छोड़कर संसार के किसी धर्म ने जीने के अधिकार के सिद्धांत को नैतिकता के सर्वोच्च शिखर पर प्रतिष्ठित नहीं किया है।"*
अहिंसा के संबंध में जैन दर्शनबहुत विस्तृत और विराट दृष्टिकोण रखता है।
स्वयं *भगवान महावीर* का जीवन गहन अध्ययनशील रहा ,उन्होंने अपने जीवन को प्रयोगशाला बना कर वैज्ञानिक आधार पर अपने सिद्धांतों को प्रतिपादित किया। वे भावना में नहीं बहे। उनका कहना था कि हिंसा से टक्कर लेने के लिए पहले हिंसा को समझना आवश्यक है।जबतक मनुष्य हिंसा व उसके परिणामों को नहीं समझेगा तब तक न शांति समझ आयेगी न समाधान की सार्थक खोज हो सकेगी।
जैनाचार्यों ने भी  अहिंसा प्रतिपादित करने से पूर्व हिंसा को परिभाषित किया।
*बिन जाने दोष गुनन को,कैसे तजिये गहिये*
जब तक हिंसा नहीं समझेंगे ,अहिंसा भी समझ न सकेंगे।
संक्षेप में हिंसा मन वचन काय से किसी प्राणी को कष्ट पहुँचाना हिंसा है। इसके अंतर्गत भाव हिंसा यानि वैचारिक (राग ,द्वेष,नफरत,घृणा,लोभ ,क्रोध ,मान ,माया आदि) हिंसा और द्रव्य हिंसा घातक वार करना या यातना पहुँचाना।

 *हिंसा के कारण*:
अहिंसा को समाप्त करने में जिन कारणों का हाथ है वह आज नासूर बन चुकी हैं ।जैसे आतंकवाद, आर्थिक मंदी,बेरोजगारी,पर्यावरण प्रदूषण,परमाणु बम और रासायनिक हथियारों की अनावश्यक होड़,साम्प्रदायिकता, जातिवाद,आदि।

 • *महावीर की अहिंसा*:
महावीर के समय तक आते आते काल प्रवाह ऐसा बहा कि कैलाशपर्वत से निकली गंगा के समान मानव मन भी कब मैला हो गया ,पता ही न चला। भगवान महावीर का काल हिंसा,संघर्ष,शोषण का काल था।दास प्रथा के साथ स्त्रियों की खरीद फरोख्त भी होती थी। उनके प्रति दुर्व्यवहार असहनीय था। भगवान महावीर के जन्म के बाद यह कुरीतियाँ स्वयं वीर ने देखी तो उन्होंने जनमानस को जगाने का प्रयास किया। लेकिन जागे वही,जो जागना चाहते थे।भगवान महावीर के धर्मोपदेश की बयार में कुरीतियाँ बहने बिखरने लगीं।
 • *अहिंसा की शौर्य गाथा*: 
प्राचीन इतिहास में मौर्यवंश हो ,गुप्तकाल,मुगलकाल हो या राजपूतों का काल ,अहिंसा की की स्वर्णिम शौर्य गाथा हमेशा गूँजती  रही।
भगवान महावीर के उद्बोधन  में *अहिंसा परमोधर्म,जियो और जीने दो,वसुधैव कुटुम्बकम, परस्परोग्रहो जीवानाम* आदि विश्व में अहिंसक शांति स्थापना की बुनियाद छिपी है।
• *वर्तमान में वर्धमान की अहिंसा की आवश्यकता*:
आज 21वीं सदी में आते आते और वीर के मोक्ष गमन करते ही वह दुष्प्रवृत्तियाँ पुनः सक्रिय हो आज विकराल रूप में विश्व के समक्ष हैं।मनुष्य पुनः सद् मार्ग से भटक गया।

पारस्परिक बंधुत्व ,सहयोग,एकता के स्थान पर असत्य ,हिंसा ,अनाचार ,आतंक और अलगाव ने ले लिया।भौतिक सुख साधनों ने स्वार्थी बना दिया परिणामतः जो अहिंसा सभी समस्याओं को जड़ से उखाड़ सकती थी उसके स्थान पर हिंसक प्रवृतियाँ अपनी जड़े जमाने लगी।
परिवार ,समाज देश ,सामाजिक संस्थाओं,राजनैतिक पार्टियों में सामंजस्य  खतम होकर तनाव उत्पन्न हुआ। वर्तमान में अनिश्चित ,असुरक्षित जीवन मानव जी रहा है,नित नयी समस्यायें उगते सूरज के साथ उगती हैं।

आज हिंसा का सर्वत्र बोलबाला है तब बहुत सूझबूझ  ,धैर्य ,हिम्मत से सुनियोजित रूप से *अहिंसा के संदेश को प्रसारित करना होगा।*
भगवान महावीर की अहिंसा का ध्येय अहिंसा द्वारा विश्व बंधुत्व ,समानता,आपसी सामंजस्य व लोक-मंगल की पुनीत भावना को स्थापित करना था।
इतिहास गवाह है कि महावीर के निर्वाण के  बाद उनके अनुयायी आचार्यों, मुनियों ,आर्यिकाओं और श्रावकों ने सारे भारत में व भारत के बाहर अहिंसा का संदेश फैलाया था।
 *उपसंहार*:
अंत में अहिंसा की स्थापना हेतु कुछ प्रयत्न  व्यक्तिगत स्तर पर ,राष्ट्रीय स्तर पर,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने चाहिये ।क्यों कि वर्तमान में जब विश्व पुनः युद्ध के मुहाने पर खड़ा है तब अहिंसा और उसके बीज रूप अपरिग्रह, सामंजस्य और आपसी हित ही समाधान है।अहिंसा ही  एक मात्र धर्म,दर्शन और संस्कृति है जिसकी अमृत बूंद समस्त प्राणी जगत को जीने के अधिकार के साथ संयत आचरण,सम्यक बोध द्वारा मानवता का अहिंसक संदेश दिया जा सकता है।
इसी अहिंसा के द्वारा विश्व को भटकने ,सुलझने.व दिशा हीन होने से बचाया जा सकता है।
*हिंसा के इस दौर में अहिंसा का दीप जलाना ही होगा।*
आर्जव जैन 
कक्षा 9

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6 Comments

Mohammed urooj khan

18-Jan-2024 01:14 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Khushbu

07-Jan-2024 06:01 PM

V nice

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Dilawar Singh

06-Jan-2024 12:27 PM

👌

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